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ALL INDIA
ASPIRING WRITER's
AWARD
Muskan Jha
REGISTRATION ID
B6720
YOUR FINAL SCORE IS IN BETWEEN
9.21 - 9.75
IFHINDIA CONGRATULATE YOU FOR BEING IN THE TOP 10 FINALISTS.
YOUR FINAL SCORE WILL BE ANNOUNCED IN THE AWARD CEREMONY.
1. THE TITLE WINNER SCORE MUST BE MORE THAN 9.70 WHO WILL BE WINNING 1,50,000/- CASH PRIZE & YOU MAY BE ONE OF THEM FOR SURE BECAUSE OUR FINAL WINNER IS IN BETWEEN THOSE TOP 10 FINALISTS INCLUDING YOU.
2. SINCE YOU ARE ONE OF THOSE TOP 10 FINALIST YOU WILL BE GETTING EXCLUSIVE GIFT COUPON WORTH 5000/- EACH
(Note : You must participate either in ONLINE EVENT or OFFLINE EVENT without fail to get your AWARD BENEFITS)
3. ALL TOP 10 FINALIST INCLUDING YOU MUST PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT EITHER OFFLINE OR ONLINE BECAUSE EVEN YOU MAY BE THE ONE WHO WIN THE TITLE FOR SURE.
4. INCASE YOU ARE NOT WILLING TO PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT/ AWARD CEREMONY EITHER OFFLINE OR ONLINE then your journey in the contest will end here. HOWEVER YOU WILL STILL RECEIVE THE BEST 25 WRITERS BENEFITS but you will not get any benefits for being in the TOP 10 incase you quit from the contest hereafter.
click on the below link to know more information about the FINAL ROUND
Written By
Muskan Jha
Title - दो चेहरे: एक जीवन, दो संसार
दो चेहरे हैं इंसान के, जैसे दिन और रात,
एक वो चेहरा जो छिपा रहता, दिल के साथ,
दूसरा वो जो दुनिया को दिखाता हर बार,
जिसमें हर पल बदलती रहती हज़ारों बात।
पहला चेहरा, सच्चा, मासूम, निश्छल है,
जैसे ठहरे पानी में चाँद की परछाईं है,
यहाँ न कोई दिखावा, न कोई झूठ का भार,
खुद से बातें करता, खुद ही करता इज़हार।
खुद के सामने खुला है वो, बेफिक्र, आज़ाद,
हर ख्वाब को जीता, हर एहसास की फरियाद,
यह चेहरा नहीं जानता, कैसा है दुनिया का खेल,
बस अपने में खोया रहता, अपने दिल से मेल।
दूसरा चेहरा जो दुनिया को है हरदम दिखाना,
रिश्तों की उलझन, और समाज का हर बहाना,
यहाँ हँसी भी एक नकाब है, दर्द का कोई निशान नहीं,
दुनिया में सबकुछ सही है, मगर सच से अनजान कहीं।
इस चेहरे में मुस्कान है, मगर आँखें हैं ख़ामोश,
हर बात में छिपी है चिंता, हर खुशी में एक दोष,
ये वो चेहरा है जिसे हर दिन पहनना पड़ता है,
समाज की कसौटी पर खुद को बार-बार रखना पड़ता है।
दोनों चेहरों की इस जद्दोजहद में बँधा है इंसान,
एक तरफ़ है सच्चाई, दूसरी तरफ़ समाज का मान,
भीतर का चेहरा ढूंढता है अपना खोया हुआ वजूद,
बाहर का चेहरा हर पल निभाता है अपनी मर्यादा की हद।
रात के सन्नाटे में जब ये दोनों मिलते हैं एक जगह,
तब दिल से सवाल उठता है, ये किसका है असल चेहरा?
क्या हम वो हैं जो समाज को दिखाते हैं हर बार,
या वो हैं जो खुद से कहते हैं अपनी दिल की बात हजार?
दोनों चेहरे एक साथ रहकर भी हैं अलग-अलग,
एक छिपाता है दर्द, दूसरा छुपाता हर सवाल का भग,
शायद यही जीवन का सबसे बड़ा दंश है, जहाँ सच्चाई और दिखावे का अनकहा संघर्ष है।
फिर भी चलते हैं ये चेहरे साथ-साथ,
एक दुनिया के लिए, दूसरा खुद की रात, इन दोनों के बीच फंसा इंसान की है ये कहानी, जो जीता है दो चेहरों की दुनिया में, अनजानी। आखिर, दोनों चेहरों का मिलना शायद मुमकिन नहीं, पर यही चेहरे हमें दुनिया में ज़िंदा रखते हैं कहीं, दो चेहरे, दो जिंदगी के पहलू, जो साथ-साथ चलते, इनके बिना हम भी तो अधूरे ही रहते।
Description of this poem:-
This poem draws its inspiration from living with two conflicting identities: the one that will never go out with our selves and the one that we present to the world. Through it, it reflects how society coerces people into wearing a mask and hiding true emotions and desires behind it. It is born out of the inner struggle of authenticity against the expectations of society, as the poem captures silent battles every day we engage in to fight over being true and then being poles apart from what we must be. It seeks introspection, wondering if these two faces can be united or are destined for separation.
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Muskan Jha
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ALSO THE NAME MENTIONED BELOW THE PHOTOGRAPH WILL BE WRITTEN ON CERTIFICATE.
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