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Image by Ambitious Studio* | Rick Barrett

ALL INDIA

ASPIRING WRITER's

AWARD

Sunil Kachhap

REGISTRATION ID

B6638

YOUR FINAL SCORE IS IN BETWEEN

9.21 - 9.75

IFHINDIA CONGRATULATE YOU FOR BEING IN THE TOP 10 FINALISTS.
YOUR FINAL SCORE WILL BE ANNOUNCED IN THE AWARD CEREMONY.

1. THE TITLE WINNER SCORE MUST BE MORE THAN 9.70 WHO WILL BE  WINNING 1,50,000/- CASH PRIZE & YOU MAY BE ONE OF THEM FOR SURE BECAUSE OUR FINAL WINNER IS IN BETWEEN THOSE TOP 10 FINALISTS INCLUDING YOU. 
2. SINCE YOU ARE ONE OF THOSE TOP 10 FINALIST YOU WILL BE GETTING EXCLUSIVE GIFT COUPON WORTH 5000/- EACH
(Note : You must participate either in ONLINE EVENT or OFFLINE EVENT without fail to get your AWARD BENEFITS)
3. ALL TOP 10 FINALIST INCLUDING YOU MUST PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT EITHER OFFLINE OR ONLINE BECAUSE EVEN YOU MAY BE THE ONE WHO WIN THE TITLE FOR SURE.
4. INCASE YOU ARE NOT WILLING TO PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT/ AWARD CEREMONY EITHER OFFLINE OR ONLINE then your journey in the contest will end here. HOWEVER YOU WILL STILL RECEIVE THE BEST 25 WRITERS BENEFITS but you will not get any benefits for being in the TOP 10 incase you quit from the contest hereafter.


click on the below link to know more information about the FINAL ROUND



 

Written By

Sunil Kachhap

मेरे इंटर कॉलेज के दिन और वहां मेरी एक लड़की पर क्रश/प्यार



यह कहानी कोई काल्पनिक कहानी नहीं है बल्कि यह मेरे जीवन की हकीकत कहानी है। मेरे जिंदगी में जो भी घटनाएं घटी है उसे मैं आपको अपने लेखन के जरिए बता रहा हूं। मुझे कहानियां लिखना तथा बताना बहुत पसंद है लेकिन मैं जितना बोलकर नहीं बता पाता उतना लिखकर बता देता हूं । यह कहानी मेरे "love life" पर आधारित है ,मेरे इंटर कॉलेज जीवन में, मेरे लव लाइफ के बारे में है। ( लेकिन इस कहनी को मैंने अधूरा ही लिखा गया है, इससे आगे की कहानी मैं जल्द ही लिखूंगा ) तो आइए बिना देर किए "Short Love Story" शुरू करते हैं , लेकिन यह कहानी शुरू से शुरुआत करते हैं।
मैं अपने स्कूली जीवन में, अपनी हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने शहर से दूसरा शहर गया था और मैं वहां से अपनी हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के बाद फिर से तीन साल बाद अपने शहर को वापस लौटा था। अपने छोटे से शहर के छोटा सा गांव में, मैं अब रहने लगा था। मुझे बस अपनी मैट्रिक परीक्षा का परिणाम का इंतजार था। मुझे खुद पर यकीन था कि मैं अपना मैट्रिक रिजल्ट बेहतर करूंगा (क्योंकि मैंने कक्षा 10 वीं की परीक्षा अच्छी तरह से लिखा था ) और मेरे साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ। मैट्रिक परीक्षा के परिणाम आने के बाद, मुझे अपना रिजल्ट देखकर बेहद खुशी हुई ,क्योंकि मैंने 83.60% तथा कुल 413 अंक प्राप्त किए थे। अब मुझे बस अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अच्छे इंटर कॉलेज की जरूरत थी, जो मेरे अपने ही शहर में स्थित हो।
हमारे गांव से 9 km की दूरी पर स्थित एक अच्छा सा इंटर कॉलेज, जो मशहूर भी था, जहां से हजारों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करके, अच्छे अंकों से जिला टॉपर बन जाते थे तथा अपने भविष्य जीवन में अच्छे मुकाम हासिल कर जाते थे ( जैसे - डॉक्टर, वकील, शिक्षक आदि बन जाते थे ) मेरा दाखिला भी इसी इंटर कॉलेज में हुआ। जब मैं कक्षा I. Com first year में अपने नामांकन लेकर गया, मुझे अपने हाई स्कूल तथा इंटर कॉलेज में काफी अंतर दिखाई दिए। ( जैसे - यहां काफी संख्या में विद्यार्थी थे, मुझे यह इंटरमीडिएट कॉलेज नया - नया सा लगने लगा था, यहां कोई जान - परिचय विद्यार्थी भी नहीं था जिससे मैं ठीक से बातें कर सकूं, मैं अपने क्लास में अकेला शांत बैठकर बस अपने क्लास में हो रहे पढ़ाई पर ध्यान देता ), अर्थात् मुझे इंटर कॉलेज की शुरूआत में हर चीज नया - नया सा लगने लगा था। एक - दो सप्ताह बीतने के बाद मेरे भी नए - नए दोस्त बनने लगे , मैं भी अपने दोस्तों के साथ कक्षा 11 वीं खुशीपूर्वक बिताया।
जब मैं कक्षा 11 वीं पास करने के बाद कक्षा 12 वीं पहुंचा ( मेरे वर्ग 12th आए तीन - चार महीने ही हुए थे ) कि तब, जब मैं हमारे कॉलेज में, हमारे कक्षा के पास स्थित स्टाप रूम ( शिक्षक कक्ष ) के पास अपने दोस्तों के साथ पानी पीने के लिए गया हुआ था, मैंने वहां एक ऐसी लड़की को देखा, जैसा लड़की मैंने अपने बीते जीवन में शायद ही देखा हो। वहां मैंने एक मासूम सी, प्यारी सी, और खूबसूरत सी लड़की को देखा, जो स्टाफ रूम के दरवाजे के पास खड़ी होकर बड़े आदर के साथ, स्टाफ रूम में अंदर प्रवेश करने के लिए, शिक्षक से अनुमति लेते हुए, बड़े प्यार से, अपने मधुर आवाज के साथ, " may I coming ma'am, may I coming ma'am" , लगातार तीन - चार बार कहे जा रही थी। इसकी मीठी सी आवाज, मेरे न चाहते हुए भी मुझे अपनी ओर आकर्षित रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था मानो, मैं इसकी मीठी सी आवाज को दिनभर सुनता रहूं, मैं इसके आस-पास ही रहूं। मैंने खुद को रोकने की बहुत कोशिश की, अपने दिल को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरा दिल मानने वालों में से नहीं था, अर्थात् मुझे इस लड़की से उसी दिन हमारी पहली मुलाकात में ही मोहब्बत हो गया और यह मोहब्बत कोई attraction वाला नहीं था बल्कि मुझे इससे सच्चा वाला लव हो गया।
इस दिन के बाद मेरा कॉलेज जीवन कुछ इस तरह व्यतीत हुआ -
मैं रोज सुबह जल्दी उठकर कॉलेज के लिए तैयार होता, और अपने कॉलेज के लिए घर से जल्दी रवाना हो जाता। ( ऐसा मैं इसलिए करने लगा था चूंकि मैं कॉलेज जल्दी पहुंचकर उसे सबसे पहले देखना चाहता था जिससे मैं सच्चा लव कर बैठा था)। मैं उससे पहले कॉलेज पहुंचकर, कॉलेज के मेन गेट पर, मैं उसका कॉलेज आने का इंतजार करता और कॉलेज जैसे ही छुट्टी होती, मै सबसे पहले फिर से मेन गेट के पास पहुंचकर उसके कॉलेज कैम्पस से बाहर निकलने का इंतजार करने लगता। भले ही मैं उससे बातें नहीं कर पाता था लेकिन उसे देखने के बाद मेरा सारा दिन बन जाता था।
अब धीरे - धीरे वक्त टलने लगा था , क्लास 12th समाप्त होने को अब 6 - 7 महीने ही रह गए थे और उस लड़की के साथ मुझे अपना फीलिंग्स शेयर भी करना था लेकिन मुझे उसका नाम भी पता नहीं था, भले ही मैं उसे जानने लगा था, पहचानने लगा था लेकिन अभी भी मैं उसके लिए अंजान ही था।
मुझे जो इतने दिनों से उसका नाम भी नहीं पता था, आखिरकार वक्त के बीतने के साथ - साथ मुझे उसका नाम पता चल ही गया। उसका नाम था पूजा," पूजा आइंद "। ( कितना प्यारा सा नाम है न? ) जैसा इसका नाम था वैसा ही इसका व्यवहार। अर्थात् इसके नाम से ही इसके व्यक्तित्व को समझा जा सकता था। ( जैसे, - इसका रहन-सहन , बात-व्यवहार अन्य लड़कियों से बिल्कुल अलग था, इसकी smile का क्या ही तारीफ़ करूं मैं? इसकी प्यारी सी मुस्कान किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता था, जैसे कि मुझे अपनी ओर आकर्षित कर लिया। इसका शॉर्ट हेयर, इसके चेहरे पर, इसके होंठ के थोड़ा सा ऊपर किनारा में एक छोटा सा तिल ,जो इसे और भी खूबसूरत बना देता था। अर्थात् मैं इनकी इन्ही अदाओं पर फिदा था। )।
अब धीरे-धीरे समय बीतने लगा था स्कूल, कॉलेज छुट्टियों पर था ( बंद था )। तब मुझे इस लड़की ( मेरी क्रश - पूजा ) की याद और भी ज्यादा आने लगती, मैं इसे उस वक्त हर social media में खोजने में मग्न हो जाता, लेकिन इसका सोशल मीडिया प्रोफाइल मुझे कहीं भी नहीं मिलता, अर्थात् मैं फिर से उदास हो जाता था। अर्थात् मेरे कॉलेज के छुट्टियों का दिन मुश्किल से व्यतीत हुआ। एक बार तो मैं बारिश में भींगने के कारण बीमार भी पड़ गया था, शारीरिक रूप से कमजोर भी हो गया था लेकिन फिर भी मेरी एक ही ख्वाहिश थी, कि इसे अपने दिल की बातें जल्दी से जल्दी बताना। मुझे पता था कि इसके पास जाकर इधर-उधर की बातें किए बगैर सीधे अपना फीलिंग्स (अनुभवों) को उसके सामने बयां ( व्यक्त) करना कि, " मैं तुमको पसंद करता हूं, मुझे तुमसे प्यार हो गया है, क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?" , ऐसी अनकही बातों को उसके सामने जाकर अचानक से, हमारी पहली मुलाकात में ही प्रस्तुत करना मेरे लिए इतना भी आसान नहीं था और अगर मैं उसे अपने दिल की बातें कह भी देता तो शायद वह मेरा प्रपोज़ल स्वीकार भी नहीं करती और करती भी कैसे?, वह मुझे ठीक से जानती तक नहीं थी और न ही मुझे ठीक से पहचानती थी। इसलिए मैंने निर्णय लिया कि मुझे अपना फीलिंग्स उसके साथ तब ही शेयर करना है जब वह मुझे ठीक से जाने-पहचाने। इसलिए मैंने अपने मन में एक प्लैनिंग किया कि, मुझे खुद को इस इंटर कॉलेज में बेहतर बनाना है, इस कॉलेज में खुद की अलग पहचान बनानी है, कुछ ऐसा कार्य कर जाना है जिससे यहां के लोग मुझे, मेरे हुनर से जाने-पहचाने। अर्थात् मैं हमारे कॉलेज में खुद की अलग पहचान बनाने के लिए, अपने पढ़ाई के साथ-साथ, हमारे कॉलेज में होने वाले फंक्शन के लिए खुद को तैयार करने में मग्न हो गया। मैं अपने फोन का सही इस्तेमाल करते हुए यूट्यूब से नाच-गान सीखने लगा था। मैं प्रतिदिन अपने घर में समय निकालकर डांस तथा अपने गिटार के साथ गाने प्रैक्टिस करने लगा था।
( जब भी मैं गिटार प्रैक्टिस करता, मेरा बड़ा भाई जो उम्र में मुझसे लगभग 7-8 साल बड़ा था, मेरी रुकावट बनते हुए मुझसे बस यही कहता कि, ये सब बजाने से तुमको पैसा मिलता है क्या?, कि तुम रोज घर में ये सब फालतू की चीजे करते हो? यह सब सुनने के बाद मुझे बहुत बुरा लगता तो था लेकिन मैं यह सब बातें सुनते हुए भी अनसुना कर देता था ( क्योंकि मेरे माता-पिता, मेरी बड़ी बहन म्यूजिक को समझते थे ) मैं खुद से यही कहता था कि इसे कहां पता कि, मैं ये सब क्यों कर रहा हूं?, किसके लिए कर रहा हूं?, यह सब करने से मुझे कितनी खुशी मिलती है?, अर्थात् मेरा बड़ा भाई म्यूजिक को कभी समझने की कोशिश ही नहीं किया। )
कभी कभी तो ये सब कार्य करते वक्त मैं अपने घर के कार्यों को करना भी भूल जाता था, जिस वजह से मुझे अपने घर के लोगों से ताने सुनने को भी मिलते थे, फिर भी मैं यहां रुकने वालों में से नहीं था मैं प्रैक्टिस करता रहा।
आखिरकार मेरे द्वारा बड़े सब्र करने के बाद एक दिन हमारे कॉलेज में "टीचर्स डे" का फंक्शन आ ही गया। मैं इस दिन बहुत खुश था क्योंकि मुझे इसी दिन का लंबे समय से इंतजार था। मैंने इस दिन के लिए पहले से ही खुद को अच्छी तरह से तैयार कर लिया था । मैं इस दिन डांस या गिटार के साथ गाना प्रस्तुत करने वाला था लेकिन मेरे साथ ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ। हुआ यह था कि, मेरे पास जो पहले से गिटार था वह गिटार दो महीने पहले ही खराब हो गया था। उस वक्त मुझे एक नए तथा अच्छे गिटार की तलाश थी लेकिन मेरे पास इसे खरीदने के लिए उस वक्त पैसे भी नहीं थे और न ही मैं अपने अभिभावक से इसे खरीदने के लिए जोर देना चाहता था, अर्थात् मैं उस वक्त अपने छात्रवृति पैसे से न्यू गिटार खरीदना चाहता था लेकिन शिक्षक दिवस से पहले पहले मेरा छात्रवृति फंड, मेरे बैंक खाता में नहीं आया था। हालांकि अन्य विद्यार्थियों का छात्रवृति फंड उनके बैंक खाता में जारी कर दिया गया था।
परंतु फिर भी मैं शिक्षक दिवस के दिन गिटार के साथ गाना प्रस्तुत करना चाहता था। मुझे इस दिन अपने दोस्तों से गिटार के बारे में पूछताछ करने के बाद बाद पता चला कि हमारे ही कॉलेज के एक लड़के के पास भी "acoustic guitar" है, (लेकिन मुझे "semi acoustic guitar " की तलाश थी) परंतु फिर भी मैं और मेरा एक दोस्त गिटार लाने के लिए उनके घर उसी दिन पहुंचे ( शिक्षक दिवस के दिन)। वहां पहुंचने के बाद हमें पता चला कि उसके पास गिटार तो है लेकिन उसे बजाने के लिए उसके पास न ही pick था और न ही capo, इसलिए हम वहां से खाली हाथ ही वापस अपने कॉलेज लौटे।
मैं शिक्षक दिवस के दिन खुश तो था लेकिन कहीं न कहीं उदास भी, क्योंकि मैंने इसी दिन के लिए महीनों पहले से तैयारी की थी। मुझे इस दिन ऐसा लग रहा था मानो मेरे सारे सपने टूट रहें हों। मुझे मेरे सारे ख्वाब बिखरते हुए नजर आ रहे थे लेकिन फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं "टीचर्स डे" के दिन ही एक वर्ग में अपना पहनावा बदलकर कॉलेज में हो रहे प्रोग्राम स्टेज तक पहुंचा तथा प्रोग्राम में भाग लेना चाहा, लेकिन मुझे वहां मंच संचालन करने वाले, हमारे इंटर कॉलेज के P.M से डांस प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं मिली ( मेरा डांस का रिहसल नहीं हुआ था इसलिए शायद ) लेकिन मैंने वहां बिना रिहसल किए विद्यार्थियों को मंच पर नाच-गान करते हुए देखा। मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि मेरे साथ ही ऐसा हुआ अर्थात् मैं उस दिन अपना डांस भी प्रस्तुत नहीं कर पाया।
(एक महीने बाद)
अबतक इन सब बातों से अंजान ( कि मैं इस इंटर कॉलेज में किसी लड़की को पसंद करता हूं , किसी लड़की पर मेरा क्रश है ) मेरा एक ख़ास दोस्त "शुभम" ( हां वही, जिसने शिक्षक दिवस के दिन, अपने दोस्त के घर गिटार लाने जाने से लेकर स्टेज तक पहुंचने में मेरा साथ निभाया था। मैं इसके ही बहन से लव कर बैठा था। यह बात मुझे तब पता चला, जब इसने हमें खुद बताया कि वो मरी बहन है , लेकिन मुझे यह भी पता चला कि वह लड़की जिसे यह अपना बहन बता रहा था ( जिसपर मेरा क्रश था ) इसकी अपनी सगी बहन नहीं थी। हो सकता है इसकी चचेरे बहन हो, मौसी की बेटी हो या कहीं इन दोनों की मुलाकात ने इन्हे भाई-बहन बना दिया हो, मुझे भी नहीं पता लेकिन मुझे इतना पता लग गया था कि यह जिस स्कूल से पढ़कर आया था वहीं पास स्थित स्कूल से मेरी क्रश भी पढ़कर यहां ( इंटर कॉलेज आई थी, जिसे यह अपना बहन बता रहा था )।
अर्थात् मेरा खास दोस्त ( शुभम ), उसे अपने स्कूली जीवन से जनता था, पहचानता था। इससे उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने की रुचि मुझमें और भी बढ़ गई थी। मैं इसके जरिए जानना चाहता था, कि वह अभी तक सिंगल है या किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप में है लेकिन यह बात मैं कभी इससे पूछ ही नहीं पाया( हिम्मत मुझमें नहीं थी, क्योंकि इसने उसे अपना बहन जो बताया था,(भले इसकी अपनी सगी बहन न हो )।
"मुझे इस इंटर कॉलेज में किसी लड़की पर क्रश है" यह बात मैंने अभी तक किसी को भी नहीं बताया था, यहां तक कि उसके भाई यानी मेरा खास दोस्त को भी नहीं, लेकिन यह बात मैं अपने दोस्तों से कबतक छिपाकर रखता? किसी न किसी को एक दिन बताना ही था। एक लड़का जो हमारे गांव के पास स्थित गांव से था जो हमारे ही इंटर कॉलेज जाता था ( जिसका नाम था आकाश, यह अबतक मेरा दोस्त बन गया था) मैंने अपनी सारी सच्चाई इस लड़के को बताया और इसके साथ मजाक-मजाक में उस लड़की (मरी क्रश-पूजा) को तीन-चार महीने के अंदर अपना गर्लफ्रेंड बनाने का चैलेंज भी दे गया ( शिक्षक दिवस से पूर्व ) वक्त गुजरने लगा था तीन-चार महीने धीरे धीरे बीतते चले जा रहे थे तथा बीत भी गए लेकिन मैं उस लड़की को अपना गर्लफ्रेड नहीं बना पाया। मैं हमारे चैलेंज में हार गया और यह लड़का जीत गया अर्थात् यह मुझसे जब भी मिलता अपने जीतने की खुशी में मुझसे बिरयानी खिलाने के लिए कहता ( इसे चैलेंज जो दे गया था मैं बिरयानी का )।
अभी भी मैं इंटर कॉलेज पर हूं, अभी भी मेरे "इंटर कॉलेज जीवन समाप्त" होने को कुछ ही महीने बचे हुए हैं, अभी भी मेरे पास अपने क्रश के साथ अपना फीलिंग्स ( अपना सच्चा प्यार का इज़हार करने के लिए ) शेयर करने के लिए वक्त है, अभी भी मेरे पास इस अधूरे कहनी को फिर से रचने के लिए वक्त है,
लेकिन वक्त..................................

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Sunil Kachhap

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