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ALL INDIA
ASPIRING WRITER's
AWARD
Alka Sharma
REGISTRATION ID
B5167
YOUR FINAL SCORE IS IN BETWEEN
9.15 - 9.75
IFHINDIA CONGRATULATE YOU FOR BEING IN THE TOP 10 FINALISTS.
1. THE TITLE WINNER SCORE MUST BE MORE THAN 9.70 WHO WILL BE WINNING 1,50,000/- CASH PRIZE & YOU MAY BE ONE OF THEM FOR SURE BECAUSE OUR FINAL WINNER IS IN BETWEEN THOSE TOP 10 FINALISTS INCLUDING YOU.
2. SINCE YOU ARE ONE OF THOSE TOP 10 FINALIST YOU WILL BE GETTING EXCLUSIVE GIFT COUPON WORTH 5000/- EACH
(Note : You must participate either in ONLINE EVENT or OFFLINE EVENT without fail to get your AWARD BENEFITS)
3. ALL TOP 10 FINALIST INCLUDING YOU MUST PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT EITHER OFFLINE OR ONLINE BECAUSE EVEN YOU MAY BE THE ONE WHO WIN THE TITLE FOR SURE.
4. INCASE YOU ARE NOT WILLING TO PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT/ AWARD CEREMONY EITHER OFFLINE OR ONLINE then your journey in the contest will end here. HOWEVER YOU WILL STILL RECEIVE THE BEST 25 WRITERS BENEFITS but you will not get any benefits for being in the TOP 10 incase you quit from the contest hereafter.
click on the below link to know more information about the FINAL ROUND
Written By
Alka Sharma
हर स्त्री का नसीब होता है आग में तपना,
कुछ निखर कर सोना बन जाया करती हैं,
कुछ बन जाती हैं राख......
कुछ बटोर लेती हैं खुशियां जीवन भर की,
कुछ रह जाती हैं खाली हाथ.....
के हौसलों पे,
कहां मेहरबां ये बेड़ियां होती हैं जनाब,
ये तो कठपुतली बन जाती हैं आडंबरों की
और हसरतें तमाम उम्र पीछा किया करती हैं,
ज़ंजीरों में जकड़े हुए ख़्वाबों की.......
यूं अटक जाते हैं ख्वाब पलकों की कोर पे,
और सूख जाते हैं नयन अश्कों के छोर पे......
दिल मे गुजरती है इक आस'
तंग गलियों से, अरमानों की जंजीरों में जकड़ी हुई,
ख्वाबों के बोझ तले पीछा करती है सुकून का......
आखिर इन्हें क्या चाहिए ?
इक बस जरा हौसला चाहिए,
शाख से जुड़े रहने का हुनर चाहिए,
तारों भरे आसमां पे चमकने का सलीका चाहिए,
सूरज सा तपकर दुनियां रोशन करने का जज्बा चाहिए,
चांद सा शीतल होकर अंधेरे को निगलने का हौसला चाहिए,
हां, स्त्री है ये.....
इसे हौसला चाहिए ,
दुनियां में बने रहने का बस हौसला चाहिए..................
के देह की चाहत,
कोई प्यार नहीं,
तिरस्कार है.......
किसी भी स्त्री के,
पवित्र प्रेम
और
स्त्रीत्व मन का....!!
हर स्त्री में होती है
इक लौ"
स्वाभिमान की......
जिसके तले जन्म लेती है,
इक ज्योति"
आत्मविश्वास की
आत्मसम्मान की
पर................✍️
जब प्रेम में मजबूर स्त्री,
चरित्र से मजबूत होती है,
तभी वो एक स्त्री रह पाती है
और
रक्षा कर पाती है
आत्मसम्मान की
आत्मस्वाभिमान की
आत्मविश्वास की
और
अपने स्त्रीत्व की..........!!
#अक़्स (अल्का शर्मा)
About the WRITER
Alka Sharma
ABOVE PHOTOGRAPH WILL BE USED FOR
THE PARTICIPATION CERTIFICATE.
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