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ALL INDIA
ASPIRING WRITER's
AWARD
Suraj mishra
REGISTRATION ID
B6103
YOUR FINAL SCORE IS IN BETWEEN
9.15 - 9.75
IFHINDIA CONGRATULATE YOU FOR BEING IN THE TOP 10 FINALISTS.
1. THE TITLE WINNER SCORE MUST BE MORE THAN 9.70 WHO WILL BE WINNING 1,50,000/- CASH PRIZE & YOU MAY BE ONE OF THEM FOR SURE BECAUSE OUR FINAL WINNER IS IN BETWEEN THOSE TOP 10 FINALISTS INCLUDING YOU.
2. SINCE YOU ARE ONE OF THOSE TOP 10 FINALIST YOU WILL BE GETTING EXCLUSIVE GIFT COUPON WORTH 5000/- EACH
(Note : You must participate either in ONLINE EVENT or OFFLINE EVENT without fail to get your AWARD BENEFITS)
3. ALL TOP 10 FINALIST INCLUDING YOU MUST PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT EITHER OFFLINE OR ONLINE BECAUSE EVEN YOU MAY BE THE ONE WHO WIN THE TITLE FOR SURE.
4. INCASE YOU ARE NOT WILLING TO PARTICIPATE IN THE MEGA EVENT/ AWARD CEREMONY EITHER OFFLINE OR ONLINE then your journey in the contest will end here. HOWEVER YOU WILL STILL RECEIVE THE BEST 25 WRITERS BENEFITS but you will not get any benefits for being in the TOP 10 incase you quit from the contest hereafter.
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Written By
Suraj mishra
हिंदु पौराणिक मान्यताओं के अनुसार , ब्रह्मांड की अस्तित्व से पूर्व ओंकार निराकार रूप धारण किए हुए था , तथा इसके पश्चात ओम तत्व ने स्वयं को साकार रूप में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया , क्यों ?
शायद यह उन्हें भी मालूम नहीं या फिर कह लो विधि का विधान रहा होगा तथा अपने सरकार अस्तित्व को बनाए रखने के लिए उन्होंने जीवनम् अथवा मरणम् का बहुत ही व्यापक खेल रचाया जिनकी समय सीमा अनंत काल निर्धारित की गई।
उससे पूर्व कुछ निर्माण कार्य शेष थे जो अभी संपन्न किए जाने थे कर्म को प्रधानता दी गई और सतवान और दुष्काम दो विपरीत गुणों की अभिव्यक्ति की गई तथा समस्त positive things सातवान के प्रति तथा negative things को दुष्काम को समर्पित किए गए।
बुराई को अच्छे कर्म का पुरुषार्थ सिद्ध करना पड़ेगा अतः ऐसा न करने की स्थिति में बुराई को उसके ही किये कर्म को सु व्यवस्थित करने का रूप प्रदान ,अनंत काल तक किया जाता रहेगा तथा दुष्काम को सत्कर्म का पुरुषार्थ सिद्ध करते हुए निष्काम को प्राप्त करना और सातवान को दुष्काम से होते हुए पुनः स्वयं को परम् ब्रह्मम मे विलीन करना था। दोनों के लिए ही यह कार्य बड़े विकट थे तथा इस कार्य की पूर्णाहुति के लिए अनंत काल का चक्र बनाया गया। तथा समय सीमा को चार भागों में विभक्त किया गया ः सतयुग द्वापर ,त्रेता, कलयुग। इस समय सीमा के उपरांत समस्त तत्व पुनः शून्यता को प्राप्त होगा अर्थात परम ब्रह्म को।
"आप सभी मेरे इस कथन को समझ पाये अथवा नहीं यह तो मैं नहीं कह सकता। लेकिन यह जो कुछ भी घटित हो चुका है, हो रहा है या फिर होगा ।इन सब के पीछे कोई बहुत बड़ा महान कार्य छिपा हुआ है जिसका पूर्ण होना अत्यंत आवश्यक है"।
(बुराई का ईश्वर से संवाद)_ कलयुग का मैं मानव जन्म से ही दानव रूप धरूं में साधु का फिर चीर हरू में नारी का।
सतयुग में आया लोक बदल के त्रैता था मैं देश बदल के द्वापर का मैं षड्यंत्रकारी घुस आया तेरे निवास भवन में।
अबोध था , जो आया अलग रूप देह बदल के ना समझी थी क्या मेरी जो भूल बनी मेरे विकट अंत की।
परिपूर्ण हो तुम संपूर्ण जगत के ये कण कण कहते हैं प्रत्येक क्षण तुमसे ही है तुम वक्त से पूर्व भी कहीं रहते हो।
किंचित मात्र है मेरे मन में अवतरित होकर आते हो अधर्म पर धर्म स्थापित हो फिर क्यों झूठ जगत में फैलाते हो।
उद्भव हुआ है मेरा तुम्हारे ही कभी स्मरण मात्र से आसान नहीं है अंत मेरा उद्गम अनंत विहार से।।
अब आया हूं पूरा एक दौर लिए कलयुग सब कहते हैं कोई ना है रूप भेद मेरा बस वास भक्तों के स्मरण चिंतन में करते हैं सुना है तुम भी संत जनों में कहीं रहते हो दंभ ,पाखंड ,को भंग कर दे ऐसा भीषण खेल करते हो।।
वक्त देखकर खेल हूं चलता क्या ? वक्त पूर्व मुझे चल पाओगे ।
सृष्टि हो रही पाप भारी फिर क्या अंत काल में आओगे।
हां बड़बोला पन अवश्य हैं मुझ में होना भी चाहूं नतमस्तक समक्ष तुम्हारे मगर नियति नहीं मेरे अस्तित्व की जो कदापि धर्म स्वीकारे है ।
स्मरण है मुझे पुनः अंत मेरा विकट ही होगा जब कलकी रूप धरकर आओगे अधर्म पर स्थापित कर पुनः बैकुंठ में चले जाओगे .।
क्या? इससे हुआ अंत मेरा वास्तविकता में स्वीकार पाओगे।
स्मरण रखना तुम भी धर्म हित में मानवता को राह दिखाने हेतु जो धर्म का दीपक जलाओगे अधर्म उसकी छाया बनकर
दीपक तले मुझे ही पाओगे।।
By_ surajmishra....
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Suraj mishra
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